वासंतिक नवरात्रि की बात हो या शारदीय नवरात्रि की देवी माँ की पूजा कन्या पूजन के बिना अधूरी ही मानी जाती है |\ नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है | लेकिन क्या आओ जानते है की कन्या पूजन करने के लिए हमे कुछ नियमो का पालन करना चाहिए | शास्त्रों के अनुसार ऐसा बताया गया है की जो व्यक्ति कन्या पूजन के दौरान ें नियमो का पालन करता है उससे देवी माँ अत्यधिक प्रस्न हो जाती है | Kanya Pujan 2021 तो आइये जानते है क्या है कन्या पूजन के नियम :-
नवरात्री 2021 : कन्या पूजन के नियम
- कन्या पूजन भारत में अधिकतर अस्टमी या नवमी के दिन किया जाता है | यह ध्यान रखे की कन्याओ की उम्र 2 से 7 वर्ष के बिच में होनी चाहिए |
- कन्या पूजन में एक बालक को भी जरूर आमंत्रित करना चाहिए | क्यूंकि ऐसा कहा जाता है की ऐसा न करने पर कन्या पूजन पूरी नहीं मानी जाती |
- कन्या पूजन शुरू करने से पहले कन्याओ के चरण (पैर ) दूध या फिर पानी से धोने चाहिए | इसके उपरांत पैर छू कर उनसे साफ़ आसान पर बिठाना चाहिए |
- कन्याओ के माथे पर फूल , अक्षत और कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए |
- कन्याओ को खीर और पूरी का प्रसाद खिलाये | नमकीन में आप उनको छोले भी दे सकते है |
- कन्याओ को भोजन कराने के बाद उन्हें दान में लाल चुनरी , फल और चुडिया दे सकते है या फिर आप कोई खिलौना भी दे सकते है |
- आखिर में कन्याओ के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद ले और उन्हें ख़ुशी ख़ुशी विदा करें | ऐसा करने से माता रानी आप पर हमेशा अपना आशीर्वाद बनाये रखेंगी |
कन्या पूजन की कहानी
कन्या पूजन की एक पौराणिक कथा के अनुसार यह बताया जाता है की माता रानी के परम भक्त पंडित श्रीधर के कोई भी संतान नहीं थी | एक दिन उन्होंने नवरात्री में कुंवारी कन्याओ को आमंत्रित किया | उसी बीच माँ वैष्णो भी कन्याओ के साथ आकर बैठ गयी | सभी कन्याये भोजन ग्रहण कर चली गयी परन्तु माता विष्णो वही बैठी रही | उन्होंने पंडित से कहा की तुम एक भंडारा आयोजित करो और उसमे पुरे गांव को आमंत्रित कर भोजन कराओ | उसी भंडारे में भैरोनाथ भी आया और वही से उसका अंत आरंभ हुआ | माता ने भैरोनाथ का अंत करके उसका उद्धार किया |